2 Line Shayari Ehsaan Jatana Jaane Kaise Sikh Lia

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एहसान जताना जाने कैसे सीख लिया..मोहब्बत जताते तो कुछ और बात थी।



कितने मज़बूर है हम तकदीर के हाथो..
ना तुम्हे पाने की औकात रखतेँ हैँ, और ना तुम्हे खोने का हौसला.!!


पहले ज़मीं बाँटी फिर घर भी बँट गया..
इनसान अपने आप मे कितना सिमट गया|


रूकता भी नहीं ठीक से चलता भी नही..
यह दिल है के तेरे बाद सँभलता ही नही|


सुनो एक बार और मोहब्बत करनी है तुमसे,
लेकिन इस बार बेवफाई हम करेंगे.


तकलीफ़ मिट गई मगर एहसास रह गया..
ख़ुश हूँ कि कुछ न कुछ तो मेरे पास रह गया|


पता नही कब जाएगी तेरी लापरवाही की आदत
पगली कुछ तो सम्भाल कर रखती, मुझे भी खो दिया|


तू होश में थी फिर भी हमें पहचान न पायी,
एक हम है कि पी कर भी तेरा नाम लेते रहे|


आ जाते हैं वो भी रोज ख्बाबो मे,
जो कहते हैं हम तो कही जाते ही नही


मोहब्बत का कोई रंग नही फिर भी वो रंगीन है,
प्यार का कोई चेहरा नही फिर भी वो हसीन हैं|


तुम्हें चाहने की वजह कुछ भी नहीं,
बस इश्क की फितरत है, बे-वजह होना….!!


हाल तो पूछ लू तेरा पर डरता हूँ आवाज़ से तेरी।
ज़ब ज़ब सुनी है कमबख्त मोहब्बत ही हुई है।


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